पीलिया के लक्षण, कारण, इलाज, रोकथाम एवं बचाव की पूरी जानकारी

पीलिया रोग: हेल्लो दोस्तों स्वागत है आपका इस आर्टिकल में, दोस्तों आज हम लोग इस आर्टिकल में पीलिया के लक्षण, कारण, इलाज, रोकथाम एवं बचाव की पूरी जानकारी हिंदी में जानने वाले है।

दोस्तों किसी भी बीमारी के इलाज, बचाव, रोकथाम आदि के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है की उस बीमारी के बारे में हमारे पास सही सही जानकारी होना यदि हमे पता ही नहीं होगा की कौन सा बीमारी है? क्यूँ होता है? इसका इलाज क्या है? रोकथाम का सही तरीका क्या है? तो हम उस बीमारी से नहीं बच सकते।

पीलिया एक ऐसा बीमारी है जो आजकल किसी आदमी को होना आम बात है खासकर नवजात शिशु में पीलिया सबसे ज्यादा मात्रा मे पाई जाती है। पीलिया से ग्रसित लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। पीलिया एक इंसान को धीरे धीरे अंदर ही अंदर खोखला कर देती है। इस बीमारी के होने से हम कह सकते हैं कि वह धीरे-धीरे मौत के करीब जा रहे हैं। 

दुनिया में हर 10 लोगो में से एक पीलिया के शिकार है अगर हम भारत की बात करे तो लगभग 10 करोड़ से भी अधिक लोगो को यह पीलिया की बीमारी है। पीलिया की  बीमारी लोगो में इतना अधिक मात्रा में होने का एक कारण यह भी है की बहुत ही कम लोगो के पास पीलिया बीमारी के बारे में सही सही जानकारी है। लोगो में जानकारी के अभाव के कारण ही ना तो वह पीलिया के लक्षण को समझ पाते है ना ही पीलिया के इलाज का सही तरीका जान पाते है और ना ही पीलिया के बचाव या रोकथाम पे ज्यादा ध्यान देते है। जिस कारण से पीलिया बीमारी दिन व दिन लोगो में बढ़ती जाती है।

इसी समस्या को कम करने के लिए आज हमलोग पीलिया के बारे में पूरी जानकारी जानने वाले है जैसे 

  • पीलिया क्या है? 
  • पीलिया क्यों होता है?
  • पीलिया के लक्षण क्या है? 
  • पीलिया की जाँच कैसे करे?
  • पीलिया का उपचार क्या है?
  • पीलिया में क्या खाना चाहिए?
  • पीलिया में क्या नहीं खाना चाहिए?
  • पीलिया के रोकथाम एवं बचाव के उपाय क्या है?

तो चलिए सबसे पहले हमलोग जानते है की Piliya kya hota hai?

पलिया क्या होता है?

जब हमारे शरीर में बिलीरुबिन नामक पदार्थ बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाती है तो ऐसे में हमारे लिवर बुरी तरह से प्रभावित होता है। तथा इसके बाद हमारा लीवर ठीक से काम करना बंद कर देता है यानी हमारा लीवर कमजोर हो जाता है। जब बिलीरुबिन नामक पदार्थ हमारे पूरे शरीर में फैल जाता है तब त्वचा, नाखून और आंखों का सफेद भाग पीला नजर आने लगता है। इस समस्या को ही पीलिया कहा जाता है। वायरल हैपेटाइटिस या जोन्डिस को ही पीलिया कहा जाता है।

पीलिया के प्रकार

सामान्यतः पीलिया तीन प्रकार के होते है 

  1. वायरल हैपेटाइटिस ए
  2. वायरल हैपेटाइटिस बी तथा 
  3. वायरल हैपेटाइटिस नान ए व नान बी

चलिए अब हमलोग जानते है की Piliya kaise hota hai?

पीलिया क्यों होता है?

हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिका 120 दिन में टूटते हैं तो इस दौरान बिलीरुबिन नामक पदार्थ बनता है। बिलीरुबिन सबसे पहले आपके लीवर में जाता है इसके बाद फिर धीरे-धीरे मूत्र के माध्यम से शारीर से निकल जाता है। लेकिन जब हमारा लाल रक्त कोशिका समय से पहले यानी 120 दिन से पहले ही टूट जाता है तो हमारे लीवर में बिलीरुबिन पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में हमारा लीवर सही से काम करना बंद कर देता है क्योंकि अधिक बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ने से लीवर कमजोर हो जाता है। लीवर में गड़बड़ी के कारन बिलीरुबिन शारीर से बहार निकल नहीं पाता है और ये पुरे शारीर में फेलने लगता है जिस कारण शारीर का त्वचा, नाखून और आंखों का सफेद भाग पीला नजर आने लगता है। पीलिया रोग बहुत ही सूक्ष्‍म विषाणु(वाइरस) के द्वारा शारीर में फेलता है।

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चलिए हमलोग जानते है की Piliya ke lakshan kya hai?

पीलिया के लक्षण क्या है?

पीलिया रोग होने से शारीर में काफी सारे पीलिया के शुरुआती लक्षण देखने को मिलते है:-

  • आँखों का सफ़ेद भाग पिला नजर आना 
  • नाख़ून का पीलापन हो जाना 
  • शारीर के त्वचा में पीलापन आना 
  • पेशाब का रंग गहरा हो जाना।
  • पेट दर्द होना
  • सिर के दाहिने भाग में दर्द रहना
  • बहुत थकान महसुस होना
  • उल्टी होना
  • खुजली होना
  • नींद से संबधित समस्या होना
  • पेट से संबधित समस्या होना
  • खाना सही से ना पचना 
  • बुखार आना
  • वजन कम होना

पीलिया की जॉच कैसे करें?

यदि किसी में पीलिया के लक्षण नजर आ रहे है और वे पीलिया की जाँच कराके निश्चित होना चाहते है की उन्हें पीलिया है या नहीं और यदि पीलिया है तो कितना है। तो पीलिया की जाँच के लिए सबसे पहले अपने नजदीकी जाँच घर जाए। 

पीलिया की जॉच के लिए एक टोटल सीरम बिलीरुबिन टेस्ट होता है। यह टेस्ट खून का सैंपल और पेशाब का सैंपल दोनों से किया जा सकता है। 

सामान्य बिलीरुबिन स्तर

  • टोटल बिलीरुबिन- 0.0-1.4 mg/dL
  • डायरेक्ट बिलीरुबिन- 0.0-0.3 mg/dL
  • इनडायरेक्ट बिलीरुबिन- 0.2-1.2 mg/dL

शारीर में टोटल बिलीरुबिन का सामान्य स्तर 0.0-1.4 mg/dL [milligrams (mg) per decilitre (dL)] होगा है यदि जाँच रिपोर्ट में बिलीरुबिन स्तर 0.0-1.4 mg/dL के बीच रहा मतलब मरीज में बिलीरुबिन स्तर बिलकुल सामान्य है और उन्हें कोई पीलिया रोग नहीं है वही जाँच रिपोर्ट में बिलीरुबिन स्तर 0.0-1.4 mg/dL से अधिक पाया जाए तो मरीज में बिलीरुबिन स्तर सामान्य से अधिक है और उनमे पीलिया रोग है और उन्हें इसका इलाज अच्छी तरह से करना चाहिए।

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पीलिया का उपचार क्या है?

पीलिया का इलाज हिंदी में बात करे तो यूं तो पीलिया का उपचार सबसे अच्छा डॉक्टर द्वारा किया जा सकता है। यदि किसी में पीलिया के लक्षण नजर आए तो उन्हें अपना हेल्थ ठीक करने के लिए डॉक्टर के पास जरुर दिखाना चाहिए। साथ ही कुछ ऐसे भी घरेलू उपचार है जो घर में किए जा सकते हैं। जैसे कि कुछ उपचार नीचे दिए गए हैं:- 

  • गन्ने का रस:- अगर पीलिया का रोगी दिन में तीन से चार बार गन्ने का रस पीता है तो यह काफी लाभदायक हो सकता है। सत्तू खाने के थोड़ी देर बाद गन्ने का रस पीने से माना जाता है कि 1 सप्ताह में पीलिया की बीमारी से छुटकारा मिलता है। गन्ने के रस में सफेद चूना मिलाकर पीने से भी आराम मिलता है।
  • हल्दी:- आधे गिलास पानी में एक चम्मच हल्दी का पाउडर मिलाकर पीने से हमारे शरीर में मौजूद सभी वायरस मर जाते हैं। जिससे बिलीरुबिन भी हमारा शरीर से बाहर निकल जाता है और हमारा रक्त साफ हो जाता है।
  • टमाटर:- टमाटर का सेवन करने से हमारा लीवर स्वस्थ रहता है साथ ही टमाटर हमारे पाचन में भी मदद करती है।
  • धनिया:- धनिया के बीजों को 7 से 8 घंटे तक पानी में भिगोकर रखें इसके बाद धनिया का पानी को आप आटा घुटने में या फिर सब्जी की ग्रेवी बनाने में इस्तेमाल करें इससे पीलिया को कम किया जा सकता है।
  • संतरे का रस:- संतरे का रस का सेवन करने से हमारा लिवर की कमजोरी दूर होती है।
  • छाछ/मट्ठा:- प्रतिदिन सुबह-शाम एक गिलास मट्ठा में नमक मिलाकर पीने से पीलिया से आराम मिलता है।
  • नारियल का पानी:-पीलिया में नारियल का पानी पीने से आराम महसूस होता है।
  • पपीता:- पीलिया का रोग होने से पपीता की सब्जी या पका हुआ पपीता खाने से आपको लाभ मिलता है।
  • दही:- दही का भी सेवन करने से पीलिया से छुटकारा मिलता है।
  • तुलसी का पत्ता:-सुबह-शाम तुलसी के चार पांच पत्ते चबाने से पीलिया रोग से राहत मिलती है।
  • मसूर दाल:- पीलिया की बीमारी में मसूर दाल खाने से भी फायदा होता है।
  • ताजा फल:- पीलिया के रोग में ताजा फल खाने से भी फायदा होता है।

चलिए अब जानते है की Piliya me kya khana chahiye?

पीलिया में क्या खाना चाहिए?

  • हरी सब्जियां:- पीलिया में हरी सब्जियां लेना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि इसमें हमें पोषक तत्व मिलता है जो कि हमें रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है।
  • नारियल का पानी:- नारियल का पानी हमारे लिवर के लिए बहुत ही फायदेमंद है ऐसा माना जाता है कि नारियल का पानी का सेवन करने से कई रोग दूर होते हैं यह बहुत ही रोग से राहत दिलाती है।
  • दही और छाछ:- पीलिया की समस्या में हमें दही और छाछ खाना चाहिए क्योंकि यह हमारे शरीर में जमे हुए वसा को नष्ट कर देता है।
  • ताजे फल:- ताजा फल जैसे कि तरबूज, पपीता और अनार जैसे फल खाने से हमें बहुत ही लाभ होता है।
  • मसूर दाल:- मसूर दाल का सेवन पीलिया की समस्या के लिए लाभदायक होता है इसे आप दाल बना कर पी सकते हैं।
  • कम मसालेदार और मुलायम सादा भोजन करना चाहिए।
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चलिए एक नजर इसपे भी डालते है की Piliya me kya na khaye?

पीलिया में क्या नहीं खाना चाहिए?

  • तले या भुने हुए खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।
  • मैदा से बने पदार्थों का सेवन कम करें।
  • मसालेदार भोजन से दूर रहें।
  • जंक फूड जैसे चौमिन, पास्ता, बर्गर, पिज्जा आदि का सेवन एकदम ही ना करें।
  • मांस, मछली अंडे का सेवन कम से कम करें।
  • नमक का सेवन कम करे।
  • नशीले पदार्थों से दूर रहे हैं।

पीलिया के रोकथाम एवं बचाव के उपाय क्या है?

  • हमेशा ताजा भोजन करे। बहुत पहले का बना हुआ या बासी भोजन बिलकुल भी ना करे।
  • साफ़ पानी पिए और हो सके तो पानी को गरम करके पिए।
  • शारीर को स्वच्छ रखे और अपने आस पास साफ़ सफाई का अच्छी से ध्यान रखे।
  • अधिक मसालेदार भोजन ना करे। मुलायम सादा भोजन करे और भोजन को अच्छे से चबाए।
  • एक ही बार में ज्यादा भोजन ना करे अगर भूक लगे तो थोरा थोरा करके कुछ समय बाद बाद खाए।

पीलिया क्या है?

पीलिया एक रोग है जिसमें हमारा शरीर में बिलीरुबिन नामक पदार्थ बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाती है जिससे हमारा शरीर में पीलापन आ जाता है साथ ही साथ आंखों नाखूनों भी पीला दिखाई देने लगता है।

बिलीरुबिन क्या है?

बिलीरुबिन एक पदार्थ है जो हमारे यकृत में बनता है जब हमारी पुराने रेड ब्लड सेल्स टूट जाते हैं तो अपशिष्ट पदार्थों को नष्ट करने का काम बिलीरुबिन करता है। बिलीरुबिन पीले रंग का पदार्थ है। जो हमारे मल को रंग प्रदान करता है।

बिलीरुबिन का सामान्य स्तर कितना होता है?

बिलीरुबिन का सामान्य स्तर 0.0-1.4 mg/dL के बीच होता है।

पीलिया रोग हो जाने से हमें क्या खाना चाहिए?

अगर पीलिया की बीमारी हो जाए तो हरी सब्जियां नारियल का पानी दही छाछ जैसे पदार्थ का सेवन करना चाहिए इससे हमारा लीवर स्वस्थ होता है।

पीलिया रोग हो जाने से हमें क्या नहीं खानी चाहिए?

पीलिया का बीमारी हो जाने से हमें जंक फूड, मैदा से बने वस्तु, मसालेदार भोजन, अधिक नमक दिए हुए भोजन, नॉनवेज, तले हुए पदार्थ, नशीले पदार्थ जैसे चीजों से दूर रहना चाहिए।

पीलिया रोग सबसे अधिक मात्रा में किसे होता है?

पीलिया की बीमारी सबसे अधिक मात्रा में नवजात शिशुओं में देखा जाता है। लेकिन आज के युग में इसका उपचार भी हॉस्पिटल में हो जाता है।

तो दोस्तो यह रहा पीलिया के लक्षण, कारण, इलाज, रोकथाम एवं बचाव की पूरी जानकारी हिंदी में। दोस्तो आशा करती हूं कि आप “Piliya Rog” से जुड़ी दी गई जानकारी से आप संतुष्ट है और आपके मन में Piliya kya hai? और piliya ke lakshan kya hai? से जुड़े जितने भी सवाल थे सारे सवालों के जवाब मिल गया होगा।

इनके अलावा भी दोस्तो अगर आपके मन में piliya in hindi से जुड़ी किसी भी प्रकार का सवाल है तो आप हमें comments करके पूछ सकते है और मै पूरा कोशिश करूँगा की आपके सारे सवालों का जवाब दे सकूं।

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