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10 Tree Name in Sanskrit
10 पेड़ों के नाम संस्कृत में (10 Trees Name in Sanskrit, Hindi and English)
SL No | Trees Name in Hindi | Trees Name in Sanskrit | Trees Name in English |
1 | बरगद | वटः, पर्कटी | Banyan |
2 | पीपल | अश्वत्थः | Peepal |
3 | नीम | नीम्बः, निम्बवृक्ष: | Neem, Margosa Tree |
4 | बबूल | कण्टकवृक्ष, कोकरः | Acacia |
5 | बांस | वेतसः | Bamboo |
6 | देवदार | देवदारुः, देववृक्ष: | Cedar |
7 | चीड़ | भद्रदारु | Pine |
8 | चंदन | चंदनम् | Sandalwood |
9 | शीशम | शिंशपा | Rosewood |
10 | सागौन | शाक | Teak |
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10 वृक्षों के नाम संस्कृत में (10 Sanskrit mein pedon ke naam)
- 10 Janwaron ke naam sanskrit mein
- 10 Pakshiyon ke naam sanskrit mein
- 10 Sharir ke ango ke naam sanskrit mein
संस्कृत में 10 पेड़ों के नाम और उसके बारे में जानकारी
वटः या पर्कटी (बरगद)
बरगद के पेड़ को संस्कृत में वटः या पर्कटी कहा जाता है वही बरगद के पेड़ को अंग्रेजी में Banyan कहा जाता है तथा बरगद के पेड़ का वैज्ञानिक नाम फिकस बेंघालेंसिस (Ficus Benghalensis) होता है। आपको बता दे की भारत का राष्ट्रीय पेड़ का दर्जा बरगद के पेड़ को दिया गया है। बरगद का पेड़ एक विशालकाय वृक्ष है। बरगद का पेड़ एक बहुत ही अनोखा पेड़ है इसकी टहनियों से जड़े बाहर निकलकर हवा में लटकती है। बरगद पेड़ की टहनियाँ काफी लंबी होती है तथा इसके पत्ते का आकार भी बड़ा होता है। बरगद के पेड़ के टहनियों में काफी सारे छोटे छोटे आकार के फल लगते है जिसके अंदर काफी सारे अधिक मात्रा में एकदम छोटे छोटे बीज होते है। तथा बरगद के पेड़ के फल, पत्ता या टहनियों को तोड़ने से इसमें दूध जैसा सफेद तरल प्रदार्थ निकलता है। आपको बता दे की बरगद वृक्ष को भारतीय संस्कृति में एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। हमारे हिन्दू धर्म में बरगद वृक्ष को एक देववृक्ष माना गया है और अनेक पर्व-त्यौहार और व्रत में बरगद वृक्ष की पूजा की जाती है। बरगद वृक्ष को’बड़’ और ‘वट’ भी कहा जाता है।
अश्वत्थः (पीपल)
पीपल के पेड़ को संस्कृत में अश्वत्थः कहा जाता है वही पीपल के पेड़ को अंग्रेजी में Peepa के नाम से ही जाना जाता है तथा पीपल के पेड़ का वैज्ञानिक नाम फाइकस रिलीजिओसा (Ficus religiosa) होता है। पीपल का पेड़ एक विशालकाय वृक्ष है जो आकार में काफी बड़े होते है। पीपल के वृक्ष को गुह्यपुष्पक भी कहा जाता है क्योंकि इसके पुष्प यानि फूल कभी दिखाई नहीं देते गुप्त रहते है। पीपल वृक्ष के प्रत्येक टहनियों में काफी सारे छोटे छोटे आकार के फल लगते है जिसके अंदर सूक्ष्म सूक्ष्म बीज के दानो भरे होते है। पीपल वृक्ष के फल के अंदर का बीज का आकार राई के दाने के आधे आकार जितने छोटे होते हैं। पीपल वृक्ष को दूध वाले वृक्ष भी कहा जाता है क्योंकि इस वृक्ष के फल, पत्ता या टहनियों को तोड़ने पर इसमें से सफेद दूध की तरह एक तरल निकलता है। भारतीय संस्कृति में पीपल वृक्ष को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। हिन्दू धर्म के अनुसार पीपल का वृक्ष एक देववृक्ष है जिनकी लोग अनेक पर्व-त्यौहार और वर्त में पूजा करते है। पीपल का वृक्ष एक दीर्घायु वृक्ष है जो सैकड़ो सैकड़ो साल जीवित रहते है।
नीम्बः या निम्बवृक्ष: (नीम)
नीम के पेड़ को संस्कृत में नीम्बः या निम्बवृक्ष: कहा जाता है वही नीम के पेड़ को अंग्रेजी में Neem और Margosa Tree कहा जाता है तथा नीम के पेड़ का वैज्ञानिक नाम अजादिरक्ता इंडिका (Azadirachta Indica) होता है। नीम का पेड़ काफी तेजी से बढ़ने वाला एक पर्णपाती वृक्ष है जो मुख्य रूप से भारतीय मूल का एक वृक्ष है। नीम का पेड़ भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यानमार, श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाईलैंड आदि देशो में पाया जाता है। लेकिन पिछले लगभग सौ, डेढ़ सौ वर्षों में यह नीम का पेड़ अपनी भारतीय उपमहाद्वीप की भौगोलिक सीमा को लांघ कर अन्य महाद्वीप जैसे अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, अमरीका आदि के उष्ण और उप-उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रो में भी पाया जाने लगा है। नीम का पूरा पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर होता है इसका जड़ से लेकर पत्ता, फल, फूल, टहनियाँ आदि का उपयोग अनेक प्रकार के रोगों के इलाज में किया जाता है। इससे कई प्रकार के औषधी, सौन्दर्य पदार्थ आदि बनाया जाता है।
कण्टकवृक्ष या कोकरः (बबूल)
बबूल के पेड़ को संस्कृत में कण्टकवृक्ष या कोकरः कहा जाता है। वही बबूल के पेड़ को अंग्रेजी में Acacia के नाम से जाना जाता है तथा बबूल के पेड़ का वैज्ञानिक नाम वाचेल्लिया नीलोतिका (Vachellia Nilotica) होता है। बबूल अकैसिया प्रजाति का एक वृक्ष जो मूल रूप से भारतीय उपमहाद्वीप एवं अफ्रीका महाद्वीप में पाया जाता है। बबूल पेड़ की पत्तियों का आकार काफी छोटे छोटे होते है तथा इसके टहनियों में काफी सारे बड़े बड़े नुकीले कांटे होते है। तथा बबूल पेड़ के फूल गोलाकार पीले रंग के होते है। बबूल के पेड़ के तना से एक चिपचिपा सा तरल पदार्थ निकलता है जिसे गोद कहा जाता है बबूल पेड़ से निकलने वाला इस गोद काफी सारे औषधीय गुणों से भरा होता है जो अनेक प्रकार के रोगों के उपचार में काम आता है।
वेतसः (बांस)
बांस को संस्कृत में वेतसः कहा जाता है वही बांस को अंग्रेजी में Bamboo के नाम से जाना जाता है तथा बांस का वैज्ञानिक नाम बैम्बूसा वुलगारिस (Bambusa Vulgaris) होता है। आपको बता दे की बांस मुख्यतः एक प्रकार का घास है जो मक्का, गन्ना, गेहूँ, धान, जौ आदि सदस्य के परिवार से संबंधित है। बांस, पृथ्वी पर पाए जाने वाला सबसे तेज बढ़ने वाला एक काष्ठीय पौधा है। बांस की कुछ प्रजातियाँ एक दिन में यानि 24 घंटे में लगभग 45 से 50 इंच तक भी बढ़ जाते है। बांस बहुत ही लंबा और एक दम सीधा होता है। जो बहुत ही मजबूत और लचीला होता है तथा काफी ज्यादा वजन को सहने का क्षमता होता है जिस कारण से बांस का उपयोग काफी सारे विभिन्न प्रकार के कामो में किया जाता है। आपको बता दे की बांस हमेशा झुंड में उगते है तथा बांस के एक झुंड में सैकड़ों की संख्या में बांस होता है। बांस भारत में लगभग सभी क्षेत्रो में पाया जाता है।
देवदारुः या देववृक्ष: (देवदार)
देवदार के पेड़ को संस्कृत में देवदारुः या देववृक्ष: कहा जाता है वही देवदार के पेड़ का अंग्रेजी में नाम Cedar होता है तथा देवदार पेड़ का वैज्ञानिक नाम सेडरस डेओडारा (Cedrus Deodara) होता है। देवदार के पेड़ एक शंकुधारी पेड़ यानि शंकु के आकार का पेड़ है जिसकी मुख्य तना सीधा ऊँचा होता है तथा मुख्य तना के चारो और छोटी छोटी टहनियाँ होती है। देवदार पेड़ की पत्तियों का आकार लम्बा और कुछ गोल होता है। देवदार पेड़ की लकड़ी हल्की लेकिन काफी मजबूत तथा सुगंधित होती है। देवदार के पेड़ ज्यादातर पर्वत पहाड़ी क्षेत्रो में पाया जाता है यह मूल रूप से पश्चिमी हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों तथा भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में पाया जाता है। देवदार के पेड़ पश्चिमी हिमालय, उत्तर-मध्य भारत, उत्तरी पाकिस्तान, पूर्वी अफगानिस्तान, पश्चिमी नेपाल तथा दक्षिण-पश्चिमी तिब्बत की ऊंचाई वाले क्षेत्रो में पाया जाता है। भारत की बात करे तो भारत में देवदार के पेड़ ज्यादातर जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड जैसे राज्यों में पाए जाते है।
भद्रदारु (चीड़)
चीड़ के पेड़ को संस्कृत में भद्रदारु कहा जाता है वही चीड़ के पेड़ को अंग्रेजी में Pine के नाम से जाना जाता है तथा चीड़ के पेड़ का वैज्ञानिक नाम पाइनस् रॉक्सबर्घियाई (Pinus Roxburghii) होता है। चीड़ का पेड़ एक लंबा सीधा आकार का पेड़ है जिसकी मुख्य टहनी एक दम सीधे ऊँचे होते है तथा इसके मुख्य टहनी से होकर छोटी छोटी शाखाएँ निकलती है जो कुछ दुरी तक फैले होते है। अगर हम पूरा पेड़ को देखे तो यह एक शंकु के आकार का होता है। चीड़ के पेड़ पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में अधिक संख्या में पाया जाता है। चीड़ के वृक्ष ज्यादातर उत्तर में वृक्ष रेखा से लेकर दक्षिण में उष्ण कटिबंध तथा शीतोष्ण कटिबंध के ठंडी पहाड़ी क्षेत्रो में फैली हुई हैं। चीड़ वृक्ष की लकड़ी काफी मजबूत और टिकाऊ होते है जो काफी मूल्यवान होते है।
चंदनम् (चंदन)
चंदन के पेड़ को संस्कृत में चंदनम् कहा जाता है वही चंदन के पेड़ को अंग्रेजी में Sandalwood कहा जाता है तथा चंदन के पेड़ का वैज्ञानिक नाम सेन्टेलम अल्बम (Santalum Album) होता है। चंदन का वृक्ष एक उच्च गुणवर्ता के लकड़ी वाला वृक्ष है। चंदन की लकड़ी औषधीय गुणों से भरपूर होता है तथा इसमें काफी अच्छा सुगंध भी होता है जिसका उपयोग अनेक प्रकार के औषधी, सोंदर्य पदार्थ आदि बनाने में किया जाता है। साथ ही हिन्दू धर्म में चंदन के पेड़ को एक शुभ पेड़ माना जाता है और इसकी लकड़ी का उपयोग अनेक प्रकार के पूजा पाठ में तथा हवन में उपयोग किया जाता है। चंदन लकड़ी के इन्ही सारे गुणों और उपयोगिता के कारण चंदन की लकड़ी मार्केट में काफी महंगे होते है जिसमे से लाल चंदन सबसे महंगे होते है। चंदन के पेड़ भारत के साथ साथ अन्य देशो में भी पाया जाता है पर पूरी दुनिया के सर्वोच्च गुणवत्ता वाला चंदन भारत के कर्नाटक राज्य में पाया जाता है।
शिंशपा (शीशम)
शीशम के पेड़ को संस्कृत में शिंशपा के नाम से जाना जाता है वही शीशम के पेड़ को अंग्रेजी में Rosewood के नाम से जाता है तथा शीशम के पेड़ का वैज्ञानिक नाम डेलबर्जिया शीशू (Dalbergia Sissoo) होता है। शीशम के पेड़ मूल रूप से भारतीय उपमहाद्वीप के क्षेत्रो में पाया जाने वाला का एक वृक्ष है। शीशम पेड़ की लकड़ी काफी उच्च गुणवर्ता की लकड़ी होती है। शीशम वृक्ष की लकड़ी बादामी रंग का होता है जो काफी भारी और काफी मजबूत होता है। शीशम की लकड़ी का उपयोग घरो के दरवाजे, फर्नीचर आदि बनाने में काफी अधिक मात्रा में किया जाता है। शीशम के पेड़ की पत्तियाँ प्रोटीन युक्त होता है जिसे पशु काफी ज्यादा पसंद करते है। जिस कारण से शीशम के पेड़ की पत्तियों का उपयोग पशुओ के चारा के रूप में किया जाता है।
शाक (सागौन)
सागौन के पेड़ को संस्कृत में शाक कहा जाता है वही सागौन के पेड़ को अंग्रेजी में Rosewood कहा जाता है तथा सागौन के पेड़ का वैज्ञानिक नाम टेक्टोना ग्रैंडिस (Tectona Grandis) होता है। सागौन के पेड़ की पत्तियों का आकार काफी बड़ा होता है जो सामान्यत: 10 से 15 इंच जितना बड़ा होता है। सागौन के पेड़ की लकड़ी, वजन में हल्की, मजबूत और टिकाऊ होते है जो काफी समय तक चलने वाली होती है। सागौन की लकड़ी का उपयोग घरो के दरवाजे फर्नीचर आदि बनाने में अधिक मात्रा में किया जाता है। भारत में सागौन के वृक्ष लगभग सभी क्षेत्रो में पाया जाता है। आपको बता दे की सागौन एक चिरहरित पेड़ है यानि ऐसा पेड़ जो पूरा साल भर हरा-भरा रहते है।
FAQ on 10 Trees Name in Sanskrit
बरगद के पेड़ को संस्कृत में क्या कहते है?
बरगद के पेड़ को संस्कृत में वटः या पर्कटी कहते है।
पीपल के पेड़ को संस्कृत में क्या कहते है?
पीपल के पेड़ को संस्कृत में अश्वत्थः कहते है।
नीम के पेड़ को संस्कृत में क्या कहते है?
नीम के पेड़ को संस्कृत में नीम्बः या निम्बवृक्ष: कहते है।
बबूल के पेड़ को संस्कृत में क्या कहते है?
बबूल के पेड़ को संस्कृत में कण्टकवृक्ष या कोकरः कहते है।
बांस के पेड़ को संस्कृत में क्या कहते है?
बांस के पेड़ को संस्कृत में वेतसः कहते है।
देवदार के पेड़ को संस्कृत में क्या कहते है?
देवदार के पेड़ को संस्कृत में देवदारुः या देववृक्ष: कहते है।
चीड़ के पेड़ को संस्कृत में क्या कहते है?
चीड़ के पेड़ को संस्कृत में भद्रदारु कहते है।
चंदन के पेड़ को संस्कृत में क्या कहते है?
चंदन के पेड़ को संस्कृत में चंदनम् कहते है।
शीशम के पेड़ को संस्कृत में क्या कहते है?
शीशम के पेड़ को संस्कृत में शिंशपा कहते है।
सागौन के पेड़ को संस्कृत में क्या कहते है?
सागौन के पेड़ को संस्कृत में शाक कहते है।
Conclusion on 10 Trees Name in Sanskrit
10 trees name in sanskrit के इस आर्टिकल में आज हमने 10 पेड़ों के नाम संस्कृत में, हिंदी में और इंग्लिश में जाना, आशा करता हूँ की आपको यह 10 trees name in sanskrit की जानकारी अच्छा लगा होगा। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा यह आप हमे कमेंट में जरुर बताए, साथ ही इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे।
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