“10 insects name in sanskrit” के इस आर्टिकल में आज हमलोग “10 कीड़े मकोड़े के नाम संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी में” चित्र के साथ जानने वाले है।
10 Insects Names in Sanskrit
10 Insects Name in Sanskrit, Hindi and English with Picture
SL No | Insects Name in Hindi | Insects Name in Sanskrit | Insects Name in English | Insect Picture |
1 | मधुमक्खी | मधुमक्षिका | Honey Bee | |
2 | तितली | तित्तरी, चित्रपतंगः, पतंगम | Butterfly | |
3 | व्याध-पतंग | व्याध-पतंग: | Dragonfly | |
4 | बिच्छू | वृश्चिकः | Scorpion | |
5 | मकड़ी | उन्ननाभ | Spider | |
6 | तिलचट्टा | तैलपः | Cockroach | |
7 | मक्खी | मक्षिका | Housefly | |
8 | मच्छर | मशक:, वज्रतुण्ड: | Mosquito | |
9 | टिड्डी | पतङ्ग, फडिङ्गा | Grasshopper | |
10 | इल्ली | तृणजलायुका वृन्तः | Caterpillar |
दोस्तों जैसा की अभी हमने 10 कीड़े मकोड़े के नाम संस्कृत में जाना ऐसे ही यदि आप जानवरों के नाम, पक्षियों के नाम, फलों के नाम, फूलों के नाम, शारीर के अंगो के नाम, रंगों के नाम, दिनों के नाम, महीनों के नाम, ग्रहो के नाम, संस्कृत में गिनती आदि के बारे में संस्कृत में जानना चाहते है तो Sanskrit sikhe पे क्लिक करे।
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10 कीड़े मकोड़े के नाम संस्कृत में
10 संस्कृत में कीड़े मकोड़े के नाम और उसके बारे में जानकारी
मधुमक्षिका (मधुमक्खी)
मधुमक्खी को संस्कृत में मधुमक्षिका कहा जाता है वही मधुमक्खी को अंग्रेजी में Honey Bee कहा जाता है तथा मधुमक्खी का वैज्ञानिक नाम एपिस (Apis) होता है। मधुमक्खी आर्थोपोडा जंतु संघ का एक कीट है जो पीले रंग का होता है। भारत में मधुमक्खी की मुख्य चार प्रजातियां पाई जाती हैं वही पूरी दुनिया में मधुमक्खियों की मुख्य पांच प्रजातियां पाई जाती हैं। मधुमक्खियां एक छोटे आकार की कीट है जी हमेशा झुंड में रहता है मधुमक्खियों के एक झुंड में लाखो की संख्या में मधुमक्खियां होती है। प्रत्येक मधुमक्खियों के झुंड में एक मादा रानी मक्खी होती है साथ ही, सेकड़ो से अधिक संख्या में नर मक्खी होती है तथा अन्य सैनिक मक्खी होती है। मधुमक्खियों के झुंड मिलकर रहने के लिए छत्ता बनाते है यह सामान्यत: ऊँचे ऊँचे पेड़ो, भवनों, पानी टंकी आदि स्थानों पे अपना छत्ता बनाते है। और उस छत्ता में रानी मक्खी अंडे देती है। तथा अन्य सभी सैनिक मक्खी रानी और छत्ता की रखवाली करते है और विभिन्न प्रकार के फूलो से रस लाकर छत्ता में इकट्ठा करते है। मधुमक्खियों के द्वारा इकट्ठा किए गए विभिन्न प्रकार के फूलो से रस से ही मधु बनता है जो हमे मधुमक्खी के छत्ता से प्राप्त होता है। मधुमक्खियों से प्राप्त मधु बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक गुणों से भरपूर होता है। मधुमक्खी के छत्ता से प्राप्त मधु की माँग मार्केट में काफी ज्यादा होती है साथ ही यह काफी महंगे भी बिकते है जिस कारण से आज कल लोग मधुमक्खी पालन एक व्यवसाय के रूप में भी कर रहे है।
तित्तरी, चित्रपतंगः या पतंगम (तितली)
तितली को संस्कृत में तित्तरी, चित्रपतंगः या पतंगम कहा जाता है वही तितली का नाम अंग्रेजी में Butterfly होता है तथा तितली का वैज्ञानिक नाम रोपालोसेरा (Rhopalocera) होता है। आपको बता दे की तितली एक आर्थ्रोपोडा (Arthropoda) जंतु वर्ग का एक कीट है। जो दिखने में बेहत ही सुंदर और आकर्षक रंग विरंगे पंखो वाला कीट है। तितली अक्सर हमारे घरो के आसपास, बगीचा में, खेतो में दिखाई देते है। तितलियाँ कई प्रजातियों के होते है पूरी दुनिया में तितलियों की लगभग 24 हजार से भी अधिक प्रजातियाँ पाई जाती है। वही भारत में तितलियाँ की लगभग 1500 के आसपास प्रजातियाँ पाई जाती है। तितलियों के ज्यादातर प्रजातियों के तीन जोड़ी पैर और दो जोड़े पंख होते हैं वही कुछ प्रजाति के तितलियों में एक जोड़े पंख होते है। तितलियों के पंख कई सारे रंगों के काफी रंग बिरंगे होते है जो देखने में बहुत ही आकर्षक और मनमोहक लगते है। एक तितली की आँखों में लगभग 6000 के आसपास लेंस होता है जिस कारण तितलियाँ अल्ट्रावायलेट किरणों को भी देख सकती हैं। आपको बता दे की तितलियों के आँखों में लगभग 6000 के आसपास लेंस होने के बावजूद भी यह सिर्फ लाल हरा और पीला रंग ही देख सकती है। अन्य कीटो के मुकाबले तितलियों की उड़ने की क्षमता काफी अच्छी होती है यह लगभग 30 मील प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकती है तथा यह लगभग 3000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकती हैं। दुनिया की सबसे बड़ी आकार की तितली की प्रजाति का नाम जायंट बर्डविंग (Giant Birdwing) है जो सोलमन आईलैंड्स के ठंडे क्षेत्रों में पाई जाती है। इस प्रजाति के मादा तितली के पंखों की लम्बाई यानि फैलाव करीब 12 इंच से भी अधिक होता है। वही हमारे देश भारत में पाई जाने वाली तितली की सबसे बड़ी प्रजाति का नाम गोल्डन बर्डविंग (Golden Birdwing) है जो उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में पाई जाती है। इस प्रजाति के मादा तितली के पंखों का लम्बाई यानि फैलाव करीब 8 इंच तक होती है।
व्याध-पतंग: (व्याध-पतंग)
व्याध-पतंग का नाम संस्कृत में व्याध-पतंग: होता है वही व्याध-पतंग का नाम अंग्रेजी में Dragonfly होता है तथा व्याध-पतंग का वैज्ञानिक नाम Anisoptera होता है। व्याध-पतंग के दो जोड़े पारदर्शी पंख होते है जो काफी रंग बिरंगे चमकीले होते है। इसके साथ ही इसके शरीर के आगे में दो बड़े बड़े आँख, दो जोड़े पैर और एक लम्बी सी मोटी सी पूंछ होती है जो उड़ते समय इसे संतुलन बनाने में मदद करती है। व्याध-पतंग की शरीर रचना से प्रेरित होकर हेलीकाप्टर का डिजाईन किया गया है जिस कारण हेलीकाप्टर का डिजाईन और एक व्याध-पतंग की शरीर संरचना काफी मिलते जुलते है। भारत के साथ साथ पुरे दुनिया में व्याध-पतंग की काफी सारे प्रजातियाँ पाई जाती है जो अलग अलग आकार के और अलग अलग पंखो के रंग के होते है।
वृश्चिकः (बिच्छू)
बिच्छू को संस्कृत में वृश्चिकः कहा जाता है वही बिच्छू को अंग्रेजी में Scorpion कहा जाता है तथा बिच्छू का वैज्ञानिक नाम स्कॉर्पियन (Scorpion) ही होता है। बिच्छू सन्धिपाद जंतु संघ का एक कीट है जो काफी जहरीला और खतरनाक होता है। बिच्छू के कुछ प्रजाति में 8 पैर होते है तो वही बिच्छू के कुछ प्रजाति के दस पैर होते है जिसमे से आगे के दो पैर अन्य पैरो से काफी बड़े और मजबूत होते है। तथा इसके शरीर में मुड़ा हुआ एक पूंछ होती और और इसी पूंछ के अंतिम छोर में एक डंक होता है जिसमे विष-ग्रंथि होता है। बिच्छू अपना यह डंक जब किसी जीव के शरीर में चुभा देता है डंक में मौजूद विष-ग्रंथि से विष उस जंतु के शरीर में चला जाता है और वह जंतु दर्द से मर जाता है। पूरी दुनिया में न्यूजीलैंड तथा अंटार्कटिक को छोड़कर बिच्छू लगभग सभी जगह पाई जाती है तथा पूरी दुनिया में बिच्छू की लगभग 2000 से भी अधिक प्रजातियाँ पाई जाती है।
उन्ननाभ (मकड़ी)
मकड़ी को संस्कृत में उन्ननाभ के नाम से जाना जाता है वही मकड़ी को अंग्रेजी में Spider के नाम से जाना जाता है तथा मकड़ी का वैज्ञानिक नाम Araneae होता है। मकड़ी आर्थ्रोपोडा (Arthropoda) जंतु वर्ग का एक जीव है। मकड़ी के कुछ प्रजाति के छ: पैर तो वही कुछ प्रजाति के आठ पैर होते है। मकड़ी के पेट में एक थैली नुमा आकृति होती है जिसे swippernet कहा जाता है। मकड़ी के पेट में मौजूद swippernet से एक चिपचिपा सा पदार्थ निकलता है यही चिपचिपा पदार्थ मकड़ी अपनी जाल बुनती है यानी net बनती है। ताकि मकड़ी के इस जाल में छोटे कीड़े मकोड़ो फास जाए जिसे खा कर मकड़ी अपनी पेट भरता है यानि भोजन करता है। मकड़ी एक मांसाहारी जीव है जो अपने जाल में फसे छोटे कीड़े मकोड़ो को खाती है। भारत के साथ साथ पूरी दुनिया में काफी सारे प्रजाति की मकड़ी पाई जाती है। अंटार्कटिका महाद्वीप को छोड़कर मकड़ी लगभग पूरी दुनिया में पाई जाती है।
तैलपः (तिलचट्टा)
तिलचट्टा को संस्कृत में तैलपः कहा जाता है वही तिलचट्टा को अंग्रेजी में Cockroach के नाम से जाना जाता है तथा तिलचट्टा का वैज्ञानिक नाम ब्लाट्टोडेया (Blattodea) होता है। तिलचट्टा की ज्यादातर प्रजाति सामान्यत: चमकीले गहरा भूरा रंग का होता है वही इसकी कुछ प्रजातियों का रंग चमकीला पीला व लाल भी होता है। तिलचट्टा ज्यादातर अंधेरे वाले स्थानों पर पाया जाता है जो काफी तेज दौड़ता है तथा खतरा होने पर यह कुछ दुरी तक उड़ भी सकता है। तिलचट्टा एक सर्वाहरी जीव है तथा तिलचट्टा के शरीर में मौजूद खून का रंग लाल ना होके सफेद होता है क्योंकि इसके शरीर के खून में हीमोग्लोबिन की कमी होती है। पुरे दुनिया में लगभग 4,600 से भी अधिक तिलचट्टा की प्रजातियाँ पाई जाती है।
मक्षिका (मक्खी)
मक्खी को संस्कृत में मक्षिका कहा जाता है वही अंग्रेजी में मक्खी को Housefly कहा जाता है तथा मक्खी का वैज्ञानिक नाम मुस्का डोमेस्टिका (Musca Domestica) होता है। मक्खी हमारे घरो के आसपास के गंदे नाली या कूड़ा कचड़ा वाले क्षेत्रो में ज्यादा पाया जाता है। साथ ही मक्खी बगीचों और मैदानों में भी पाया जाता है। हमारे घरो के आसपास पाए जाने वाला मक्खी की शरीर की आकार सामान्यत: छोटे होते है वही मैदानों में पाए जाने वाला मक्खी की शरीर की आकार थोड़ा बड़ा होता है। एक मक्खी के छ: पैर और दो पंख होते है। मक्खी एक गंदा कीड़ा है जो प्राय: गंदगी फैलाने के लिए जाना जाता है। मक्खी जब कोई गंदी जगह पर बैठती है तो इसके पैरो में सूक्ष्म कीटाणु चिपक जाते है और जब यह हमारे भोजन आदि में बैठते है तो मक्खी के पैरो से कीटाणु खाने में आ जाता है जिससे कई प्रकार की बीमारी फैलती है इसलिए खाना को हमेशा ढक के रखना चाहिए।
मशक: या वज्रतुण्ड: (मच्छर)
मच्छर को संस्कृत में मशक: या वज्रतुण्ड: के नाम से जाना जाता है वही मच्छर को अंग्रेजी में Mosquito के नाम से जाना जाता है तथा मच्छर का वैज्ञानिक नाम Culicidae होता है। मच्छर के शरीर में दो जोड़ी पंख, छ: पैर और एक लंबी सी सुई नुमा सूड़ होता है। मच्छर एक हानिकारक कीट है जो इंसानों और जानवरों के रक्त अपने सूड़ के मदद से पीते है। अधिकतर लोगो को लगता होगा की सभी मच्छर खून पीते है पर आपको बता दे नर मच्छर कभी भी खून नहीं पीते है खून केवल मादा मच्छर ही पीते है वही नर मच्छर केवल पेड़ पौधो के रस पीते है। मच्छर नाली, गड्ढ़े, नहरों, तालाबों तथा स्थिर जल के जलाशयों के निकट नम और अंधेरी जगहों पर पनपता है। पूरी दुनिया में मच्छर लगभग सभी जगहों पर पाए जाते है। मच्छर एक रोग वाहक कीट है जो विभिन्न प्रकार के खतरनाक रोंगो के जीवाणुओं को अपने साथ वहन करते है। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, पीला बुखार जैसे अनेक बीमारियाँ मच्छर के द्वारा फैलते है।
पतङ्ग या फडिङ्गा (टिड्डी)
टिड्डी को संस्कृत में पतङ्ग या फडिङ्गा कहा जाता है वही टिड्डी को अंग्रेजी में Grasshopper कहा जाता है तथा टिड्डी का वैज्ञानिक नाम Caelifera होता है। टिड्डी ऐक्रिडाइइडी (Acrididae) परिवार के ऑर्थाप्टेरा (Orthoptera) जंतु वर्ग का एक कीट है। टिड्डी एक जगह से दुसरे जगह ऊँची छलांग लगाकर यानि फुदक कर जाते है साथ ही यह कुछ दुरी तक उड़ने में भी सक्षम होते है। टिड्डी के शरीर में सामान्यत: छ: पैर होते है। टिड्डी के पीछे के दो पैर अन्य पैरो के मुकाबले काफी लंबे और मजबूत है जो इसे ऊँची छलांग लगाने में मदद करते है। टिड्डी सामान्यत: बगीचों, घास के मैदानों और खेत खलिहान में पाया जाता है तथा यह एक शाकाहारी किट होता है जो घास, पत्ती आदि खाती है।
तृणजलायुका वृन्तः (इल्ली)
इल्ली को संस्कृत में तृणजलायुका वृन्तः के नाम से जाना जाता है वही इल्ली को अंग्रेजी में Caterpillar के नाम से जाना जाता है। इल्ली पिडोप्टेरा प्रजाति के सदस्य कीट का एक लार्वा रूप हैं। भारत के साथ साथ पुरे विश्व में इल्ली की काफी सारे प्रकार के प्रजातियाँ पाई जाती है आपको बता दे की इल्ली की कुछ प्रजाति के कीट झुंड बना के रहते है वही कुछ प्रजाति के कीट अकेले रहते है। इल्ली के ज्यादातर प्रजातियां शाकाहारी होते है जो पेड़ पौधो के पत्तियों, घास आदि को खाकर अपना भूख मिटाते है वही इसकी कुछ प्रजातियां कीटभक्षी भी होते है जो छोटे कीड़े मकोड़ो को खाते है। इल्ली का शरीर बेलनाकार आकार का होती है तथा इसमें काफी सारे छोटे छोटे पैर होते है। इल्ली के शरीर का रंग इस प्रकार होता है की यह अपने आसपास के परिवेश में काफी आसानी से घुल मिल जाता है और शिकारी पक्षियों से बचा रहता है।
FAQ on 10 Insects Name in Sanskrit
मधुमक्खी को संस्कृत में क्या कहते है?
मधुमक्खी को संस्कृत में मधुमक्षिका कहते है।
तितली को संस्कृत में क्या कहते है?
तितली को संस्कृत मेंतित्तरी, चित्रपतंगः या पतंगम कहते है।
व्याध-पतंग को संस्कृत में क्या कहते है?
व्याध-पतंग को संस्कृत व्याध-पतंग: कहते है।
बिच्छू को संस्कृत में क्या कहते है?
बिच्छू को संस्कृत वृश्चिकः कहते है।
मकड़ी को संस्कृत में क्या कहते है?
मकड़ी को संस्कृत उन्ननाभ कहते है।
तिलचट्टा को संस्कृत में क्या कहते है?
तिलचट्टा को संस्कृत तैलपः कहते है।
मक्खी को संस्कृत में क्या कहते है?
मक्खी को संस्कृत मक्षिका कहते है।
मच्छर को संस्कृत में क्या कहते है?
मच्छर को संस्कृत मशक: या वज्रतुण्ड: कहते है।
टिड्डी को संस्कृत में क्या कहते है?
टिड्डी को संस्कृत पतङ्ग या फडिङ्गा कहते है।
इल्ली को संस्कृत में क्या कहते है?
इल्ली को संस्कृत तृणजलायुका वृन्तः कहते है।
Conclusion on 10 Insects Name in Sanskrit
10 insects name in sanskrit, hindi and english with picture के इस आर्टिकल में आज हमलोग 10 कीड़े मकोड़े के नाम संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी में चित्र के साथ जाना। आशा करता हूँ की 10 insects names in sanskrit का यह जानकारी आपको अच्छा लगा होगा। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा यह आप हमे कमेंट में जरुर बताए, साथ ही इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे।
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